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गुरु अर्जन
गुरू अर्जन (1563-1606) सिखों के पाँचवें गुरू और प्रथम संत थे जो शहीद हुए। जीवन की समस्याओं के प्रति उनकी दृष्टि व्यावहारिक थी और उनके उपदेश प्रेरणादायक होते थे। सिख पंथ को एक महान धर्म का रूप देने का श्रेय उन्हीं को है। गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन सिख धर्म को और पूरी दुनिया को उनकी अमर देन है।
अपने सगे भाई की ईर्ष्या और षड़यंत्र के कारण काफी कम आयु में ही उनके जीवन का दुःखद अंत हुआ। एक अहंकारी सम्राट के आगे झुकने से इनकार कर के उन्होंने न सिर्फ अपने अनुयायियों के लिए, बल्कि अपने धर्म की सच्चाई में विश्वास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए, एक आदर्श प्रस्तुत किया।
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